विशेषण सार्थक शब्दों के आठ भेदों में एक भेद है।व्याकरण में विशेषण एक विकारी शब्द है।
विशेष्य
जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है।
यथा- गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है।विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।पूर्व में, जैसे-थोड़ा-सा जल लाओ।एक मीटर कपड़ा ले आना।बाद में, जैसे-यह रास्ता लंबा है।खीरा कड़वा है।
विशेषण के भेद
विशेषण के चार भेद हैं-
गुणवाचक।परिमाणवाचक।संख्यावाचक।संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक।
गुणवाचक विशेषण
जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-क्रमविशेषणसंज्ञा अथवा सर्वनाम1-भावअच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।2-रंगलाल, हरा, पीला, सफ़ेद, काला, चमकीला, फीका आदि।3-दशापतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, ग़रीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि।4-आकारगोल, सुडौल, नुकीला, समान, पोला आदि।5-समयअगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।6-स्थानभीतरी, बाहरी, पंजाबी, जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि।7-गुणभला, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा, दान